Wednesday, 14 December 2016

तमिलनाडु में वरदा चक्रवात का प्रकोप 

तमिलनाडु में वरदा चक्रवात का प्रकोप 

सामान्य अध्ययन - 3 :प्रौद्योगिकी, आर्थिक विकास, जैव विविधता , पर्यावरण, सुरक्षा तथा आपदा प्रबंधन
(खंड – 15 : आपदा एवं आपदा प्रबंधन)

हाल ही में, बंगाल की खाड़ी में उठने वाले चक्रवातों का अध्ययन करने के पश्चात यह पाया गया है कि आए दिन उठने वाले इन गंभीर चक्रवातों (उदाहरण के तौर पर तमिलनाडु में आए वरदा चक्रवात) की बढ़ती संख्या का मूल कारण समुद्री तापमान के स्तर में वृद्धि होना है|

प्रमुख बिंदु :

वर्ष 2014 में “जर्नल ऑफ अर्थ साइंस एंड क्लाइमेट चेंज” द्वारा किये गए एक  अध्ययन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, वर्तमान में बंगाल की खाड़ी से उठाने वाले अधिकांश चक्रवातीय तूफानों की तीव्रता 1 से 3 नवम्बर के दौरान उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के समान थी।

इस अध्ययन में हिन्द महासागर क्षेत्र में आए उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के  तकरीबन 122 वर्षों के आँकड़ों को सम्मिलित किया गया है|इस अध्ययन में वर्ष के चार महीनों (मई , अक्तूबर, नवम्बर तथा दिसम्बर) के दौरान देश के कईं क्षेत्रों (विशेष रूप से तमिलनाडु तथा आंध्र प्रदेश) में इन चक्रवातों द्वारा पड़ने वाले प्रभावों का भी आंकलन किया गया है|अध्ययन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सामान्यतः नवम्बर माह में सबसे अधिक प्रचंड चक्रवात आए थे| वस्तुतः बंगाल की खाड़ी में प्रत्येक वर्ष पाँच से छः उष्णकटिबन्धीय चक्रवात (जिनकी गति अधिकतम 34 नॉट या उससे अधिक होती है) उठते हैं जिनमें दो-तीन चक्रवात प्राय: प्रचंड स्तिथि (अधिकतम गति 48 नॉट या उससे अधिक होती है) में पहुँच जाते हैं|    हालाँकि, अब तक अरब सागर में बनने वाले चक्रव्तों की संख्या बहुत कम देखी गई है,  परन्तु वर्तमान समय में अरब सागर में भी कम तीव्रता के चक्रवात बनने  प्रारंभ हो गए हैं|प्रशांत महासागर में आने वाले टाइफून की आवृत्ति के सन्दर्भ में किये गए अध्ययनों में यह पाया गया कि स्थानीय पर्यावरणीय परिस्थितियाँ तथा टाइफून की प्रभावशीलता के कारण ही प्राय: समुद्र के तापमान में वृद्धि देखने को मिलती है|

वर्ष 2015 में “नेचर क्लाइमेट चेंज” द्वारा किये गए एक अध्ययन के अनुसार, अगले 30 वर्षों में  महासागरों के जल के तापमान में और अधिक वृद्धि होने की संभावना है, जिसके कारण वैश्विक स्तर पर उष्ण कटिबन्धीय चक्रवतों की संख्या धीरे- धीरे कम होने लगेगी; परन्तु स्थिति इसके विपरीत बंटी नजर आ रही है क्योंकि  चक्रवातों की संख्या एवं तीव्रता में वृद्धि होने की संभावना है|चक्रवातों की तीव्रता में वृद्धि के अतिरिक्त दिनोंदिन बढ़ते औद्योगीकारण के कारण भी तटीय क्षेत्रों के तापमान में वृद्धि होगी, जिससे चक्रवातों की संख्या और तीव्रता पर प्रभाव पड़ने  की सम्भावना है| 

वरदा चक्रवात 

बंगाल की खाड़ी से उठने वाला यह वर्ष 2016 का अब तक का चौथा भीषण चक्रवाती तूफान है| तीव्रता के आधार पर इसे  सात श्रेणियों की  सूची में इसे तीसरे स्थान पर रखा गया है, जिसमें वायु की गति 89 - 117 किमी प्रति घंटा है|उल्लेखनीय है कि उतरी हिंद महासागर में आने वाले तूफानों से प्रभावित होने वाले आठ देशों  द्वारा इन चक्रवातों का नामकरन करने के लिये  कुल 64 नामों की एक सूची तैयार की गई है| भीषण चक्रवाती तूफान आने पर बारी-बारी से प्रत्येक देश द्वारा चुना गया नाम प्रस्तावित कर दिया जाता है| विदित हो कि इस बार इस चक्रवात का नाम पाकिस्तान द्वारा बनाई गयी सूची से लिया गया है|विदित हो कि “वरदा” एक उर्दू शब्द  है, जिसका अर्थ होता है- गुलाब का फूल|एक ओर, जहाँ वरदा चक्रवात आंध्र प्रदेश एवं तमिलनाडु के  लिये संकट का कारण बनकर उभरा है, वहीं दूसरी ओर यह राज्य के किसानों के लिये ख़ुशी का कारण भी बना है| फिलहाल रबी की फसल की बुवाई का मौसम चला रहा है, जिसके लिये किसानों को मिटटी की  तैयारी के लिये सिंचाई की अत्यावश्यकता थी, ऐसे में  चक्रवात के कारण हो रही वर्षा से सिंचाई की आवश्यकता पूरी हो गई है| अत: अब किसानों को सिंचाई हेतु निवेश करने की भी आवश्यकता नहीं है|नाम सक्रियतावायु की गतिप्रभावित क्षेत्रआर्थिक नुकसान ($ में)मौतें1.रोआनु 17-22 मई85 किमीश्रीलंका, भारत का पूर्वी तटवर्ती इलाका, बांग्लादेश, म्यांमार1.7 अरब$--2.एआरबी -0127-29 जून45 किमीओमान, गुजरात----3.एलएएनडी-019-13अगस्त55 किमीपूर्वी भारत, बांग्लादेशबेहद कम204.बीओबी-0216-22 अगस्त55 किमीपूर्वी भारत, बांग्लादेश4 करोड़175.क्यांत21-28 अक्टूबर85 किमीअंडमान द्वीप समूह, म्यांमार, दक्षिण भारत----6.बीओबी-043-6 नवम्बर45 किमीपश्चिम बंगाल, बांग्लादेश1.9 करोड़807.नाडा29नवम्बर से 2 दिसम्बर75 किमीश्रीलंका, दक्षिण भारत1.6 करोड़128.वरदा6 दिसम्बर से अब तक130 किमी सुमात्रा, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, थाईलैंड, मलेशिया, दक्षिण  भारतअभी ज्ञात नही12

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