Wednesday, 28 December 2016

संयुक्त राष्ट्रसंघ, प्रमुख संस्थाएं और कार्यक्रम से सम्बंधित सामान्य ज्ञान  

संयुक्त राष्ट्रसंघ, प्रमुख संस्थाएं और कार्यक्रम से सम्बंधित सामान्य ज्ञान

 

संयुक्त राष्ट्रसंघ, प्रमुख संस्थाएं और कार्यक्रम से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य

संयुक्त राष्ट्र एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है, जिसके उद्देश्य में उल्लेख है कि यह अंतरराष्ट्रीय कानून को सुविधाजनक बनाने के सहयोग, अन्तर्राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति, मानव अधिकार और विश्व शांति के लिए कार्यरत है। संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 24 अक्टूबर, 1945 को संयुक्त राष्ट्र अधिकारपत्र पर 50 देशों के हस्ताक्षर होने के साथ हुई।

द्वितीय विश्वयुद्ध के विजेता देशों ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र को अन्तर्राष्ट्रीय संघर्ष में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से स्थापित किया था। वे चाहते थे कि भविष्य मे फ़िर कभी द्वितीय विश्वयुद्ध की तरह के युद्ध न उभर आए। संयुक्त राष्ट्र की संरचना में सुरक्षा परिषद वाले सबसे शक्तिशाली देश (संयुक्त राज्य अमेरिका, फ़्रांस, रूस और संयुक्त राजशाही) द्वितीय विश्वयुद्ध में बहुत अहम देश थे।

वर्तमान में संयुक्त राष्ट्र मे 193 देश है, विश्व के लगभग सारे अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त देश। इस संस्था की संरचन में आम सभा, सुरक्षा परिषद, आर्थिक व सामाजिक परिषद, सचिवालय और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय सम्मिलित है।

संयुक्त राष्ट्रसंघ के महतवपूर्ण तथ्य:-

स्थापना24 अक्टूबर, 1945संस्थापक सदस्य50 देशमुख्यालयन्यूयॉर्क ( सं० रा० अमेरिका )वर्तमान सदस्य संख्या193 ( अंतिम सदस्य द० सूडान )लक्ष्य और उद्देश्यशांति एवं सुरक्षाकार्यकारी भाषाएँअंग्रेजी तथा फ्रेंचप्रथम महासचिवट्रिग्वेली ( नार्वे )वर्तमान महासचिवबानकी – सून ( द० कोरिया )कुल सदस्य संख्या15स्थायी सदस्य संख्या5 ( सं. रा. अमेरिका, चीन, ब्रिटेन, फ्रांस, रूसअस्थायी सदस्य संख्या10 ( कार्यकाल 2 वर्षमहासचिव का कार्यकाल5 वर्ष

संयुक्त राष्ट्र संघ की प्रमुख स्वतंत्र संस्थाएं, मुख्यालय, तथा स्थापना वर्ष की सूची:-

लघुनामसंस्थामुख्यालयस्थापनाएफएओखाद्य एवं कृषि संगठनरोम, इटली१९४५आईएईएअन्तर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा अभिकरणवियना, ऑस्ट्रिया१९५७आईसीएओअंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठनमॉन्ट्रियल, कनाडा१९४७आईएफएडीअंतर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोषरोम, इटली१९७७आईएलोअंतर्राष्ट्रीय श्रम संघजेनेवा, स्विट्जरलैंड१९४६आईएमओअंतर्राष्ट्रीय सागरीय संगठनलंदन, ब्रिटेन१९४८आईएमएफअंतर्राष्ट्रीय मॉनीटरी फंडवाशिंगटन, सं.रा१९४५आईटीयूअंतर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघजेनेवा, स्विट्जरलैंड१९४७यूनेस्कोसंयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठनपैरिस, फ्रांस१९४६यूएनआईडीओसंयुक्त राष्ट्र औद्योगिक विकास संगठनवियना, ऑस्ट्रिया१९६७यूपीयूवैश्विक डाक संघबर्न, स्विट्जरलैंड१९४७डब्ल्यु बीविश्व बैंकवाशिंगटन, सं.रा१९४५डब्ल्यु एफपीविश्व खाद्य कार्यक्रमरोम, इटली१९६३डब्ल्यु एच ओविश्व स्वास्थ्य संगठनजेनेवा, स्विट्जरलैंड१९४८डब्ल्युआईपीओवर्ल्ड इन्टलेक्चुअल प्रोपर्टी ऑर्गनाइजेशनजेनेवा, स्विट्जरलैंड१९७४डब्ल्युएमओविश्व मौसम संगठनजेनेवा, स्विट्जरलैंड१९५०डब्ल्युटीओविश्व पर्यटन संगठनमद्रीद, स्पेन१९७४

संयुक्त राष्ट्र संघ के अपने कई कार्यक्रमों और एजेंसियों के अलावा १४ स्वतंत्र संस्थाओं से इसकी व्यवस्था गठित होती है। स्वतंत्र संस्थाओं में विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व स्वास्थ्य संगठन शामिल हैं। इनका संयुक्त राष्ट्र संघ के साथ सहयोग समझौता है।

संयुक्त राष्ट्र संघ कुछ प्रमुख संस्थाएं और कार्यक्रम हैं:

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु उर्जा एजेंसी: विएना में स्थित यह एजेंसी परमाणु निगरानी का काम करती है।अंतर्राष्ट्रीय अपराध आयोग: हेग में स्थित यह आयोग पूर्व यूगोस्लाविया में युद्द अपराध के सदिंग्ध लोगों पर मुक़दमा चलाने के लिए बनाया गया है।संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ़): यह बच्चों के स्वास्थय, शिक्षा और सुरक्षा की देखरेख करता है।संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (यूएनडीपी): यह ग़रीबी कम करने, आधारभूत ढाँचे के विकास और प्रजातांत्रिक प्रशासन को प्रोत्साहित करने का काम करता है।संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन: यह संस्था व्यापार, निवेश और विकस के मुद्दों से संबंधित उद्देश्य को लेकर चलती है।संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक परिषद (ईकोसॉक): यह संस्था सामान्य सभा को अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक एवं सामाजिक सहयोग एवं विकास कार्यक्रमों में सहायता एवं सामाजिक समस्याओं के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय शांति को प्रभावी बनाने में प्रयासरत है।संयुक्त राष्ट्र शिक्षा, विज्ञान और सांस्कृतिक परिषद: पेरिस में स्थित इस संस्था का उद्देश्य शिक्षा, विज्ञान संस्कृति और संचार के माध्यम से शांति और विकास का प्रसार करना है।संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी): नैरोबी में स्थित इस संस्था का काम पर्यावरण की रक्षा को बढ़ावा देना है।संयुक्त राष्ट्र राजदूत: इसका काम शरणार्थियों के अधिकारों और उनके कल्याण की देखरेख करना है। यह जीनिवा में स्थित है।विश्व खाद्य कार्यक्रम: भूख के विरुद्द लड़ाई के लिए बनाई गई यह प्रमुख संस्था है। इसका मुख्यालय रोम में है।अंतरराष्ट्रीय श्रम संघ: अंतरराष्ट्रीय आधारों पर मजदूरों तथा श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए नियम वनाता है।

Monday, 19 December 2016

क्या थी वैदिक 10 राजाओं के युद्ध की घटना?| The Battle of 10 Kings Explained in Hindi

क्या थी वैदिक 10 राजाओं के युद्ध की घटना?| The Battle of 10 Kings Explained in Hindi

10 राजाओं का युद्ध (battle of 10 kings) की भूमिका:

10 राजाओं का युद्ध (battle of 10 kings) वैदिक कालीन सैन्य और समाज व्यवस्था को समझने का महत्वपूर्ण स्रोत है| राजा सुदास, भरत कुल के प्रतापी राजा थे| भरत कुल (जनजाति नहीं) आर्य, ब्रम्हावर्त (यमुना एवं सरस्वती नदियों के बीच का प्रदेश) में बसे हुए थे| भरत कुल के लोगों का पुरु कुल के लोगों से वैमनस्य था| ऋग्वैदिक काल में भरत कुल की शक्ति बहुत ही प्रबल हो चुकी थी| उन्हें उत्तर-पश्चिम भारत में बसे हुए अन्य आर्य कुलों तथा पूर्व में अनार्य जातियों से टक्कर लेनी पड़ती थी| भरत कुल नें दोनों शक्तियों को पराजित करके अपनी प्रभुता स्थापित कर लिया था| इसका उल्लेख “दशराज्ञ युद्ध” के रूप में ऋग्वेद के सातवें मंडल में ७:१८, ७:३३ और ७:८३:४-८ में मिलता है।

10 राजाओं का युद्ध (battle of 10 kings) के राजनीतिक कारण:

10 राजाओं के युद्ध में एक तरफ राजा सुदास तथा दूसरी और उत्तर भारत के 10 आर्य कुल थे| जिनमें पुरु, प्रदय, अनु, तुर्वसु तथा यदु कुल मुख्य थे| इस का मुख्य कारण दो पुरोहितों विश्वामित्र तथा वशिष्ठ का आपसी वैमनस्य था| विश्वामित्र ने दस आर्य कुलों का संघ बनाकर राजा सुदास पर आक्रमण कराया था|

सुदास हिन्द-आर्यों के ‘भारत’ नामक कुल के ‘तृत्सु’ नामक कुल के नरेश थे। वे दिवोदास के पुत्र थे, जो स्वयं सृंजय के पुत्र थे। सृंजय के पिता का नाम देववत था। दशराज्ञ युद्ध के बाद भारत समुदाय का हिन्द-आर्य लोगों में बोलबाला हो गया और आगे चलकर यही पूरे देश का नाम भी पड़ गया।


राजा सुदास के विरुद्ध लड़ने वाले शेष 10 आर्यकुल राजाओ की सूची:

अलीन: यह शायद आधुनिक अफ़ग़ानिस्तान के नूरिस्तान क्षेत्र से पूर्वोत्तर में रहते थे क्योंकि चीनी तीर्थयात्री हुएन त्सांग ने उस जगह पर इनकी गृहभूमि होने का उल्लेख किया था।अनु: यह ययाति के पुत्र अनु के कुल का समुदाय था, जो परुष्णि (रावी नदी) के पास रहता था। अनु समुदाय का नाम है राजा का नहीं इनके राजा कौन थे यह अभी अज्ञात है।भृगु: यह लोग शायद प्रचीन कवि भृगु के वंशज थे। बाद में इनका सम्बन्ध अथर्व वेद के भृग्व-आंगिरस विभाग की रचना से किया गया है।भालन: कुछ विद्वानों के अनुसार यह बोलन दर्रे के इलाक़े में बसने वाले लोग थे।द्रुह्यु: यह शायद गान्धार प्रदेश के निवासी थे (ऋग्वेद ७:१८:६)।मत्स्य: इनका ज़िक्र केवल ऋग्वेद ७:१८:६ में हुआ था लेकिन बाद में इनका शाल्व के सम्बन्ध में भी उल्लेख मिलता है।परसु: यह सम्भवतः प्रचीन पारसीयों (ईरानियों) का गुट था।पुरु: यह ऋग्वेद काल का एक महान क़बीलियाई परिसंघ था जिसे सरस्वती नदी के किनारे बसा हुआ बताया जाता है।पणी: यह दानवों की भी एक श्रेणी का नाम था। बाद के स्रोत इन्हें स्किथी लोगों से सम्बन्धित बताते हैं।दास (दहए) : यह दास जनजातियां थी। ऋग्वेद में इन्हें दसुह नाम से जाना गया। यह भी माना जाता है कि यह काले रंग के थे। दास समुदाय का नाम है राजा का नहीं इनके राजा कौन थे यह अभी अज्ञात है।

10 राजाओं का युद्ध (battle of 10 kings) के युद्ध क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति:

यह लड़ाई पुरुषणी नदी के किनारे हुई थी| उस समय नदी में बाढ़ आई हुई थी| यह नदी वर्तमान में पाकिस्तान में बहने वाली रावी नदी हैं|

The battle of ten kings was fought on the banks of Purushni (Raavi Rever).


10 राजाओं का युद्ध (battle of 10 kings) की तुलनात्मक सैन्य शक्ति:

इस लड़ाई में दोनों पक्षों की जनपद के युवा पुरुष ने भाग लिया था| राजा सम्मानित व्यक्ति तथा योद्धा रथों पर सवार थे| एक रथ में एक योद्धा और एक सारथी बैठे थे| योद्धा सारथी की के बाएं खड़ा होकर बाण वर्षा करता था| पैदल सेना में साधारण पुरुष थे| रथ और पैदल सैनिकों का हथियार अधिकांशत:  धनुष-बाण था| कुछ सैनिक भाला, फरसा, तलवार आदि से सज्जित थे| योद्धा सर तथा शरीर पर कवच भी धारण किये हुए थे| बानों का अग्रभाग लोहि या सिंह से बना हुआ था| इस युद्ध में विरोधी पक्षों की सैन्य संख्या का विवरण कहीं नहीं दिया गया है| | इतना अनुमान किया जा सकता है कि 10 राजाओं की सैन्य शक्ति राजा सुदास की सेना से अधिक रही होगी|

10 राजाओं का युद्ध (battle of 10 kings) में सेनाओं की स्थिति:

पुरुषणी अर्थात (आधुनिक रावी) नदी के तट पर दोनों पक्षों की सेना इस प्रकार से खड़ी थी कि उनका एक एक पार्श्व  नदी से सुरक्षित था| 10 राजाओं ने सुदास पर आक्रमण करने की योजना थी और सुदास रक्षात्मक स्थिति में था| परंतु सुदास ने 10 राजाओं पर पहले ही आक्रमण कर दिया|

10 राजाओं का युद्ध (battle of 10 kings) में वास्तविक संघर्ष:

राजा सुदास की सेना ने सर्वप्रथम सामने से बाण वर्षा की| इसके बाद अपनी सेना को अचानक मोड़ कर सुदास शत्रु सेना के पास पार्श्व ले गया और बड़े वेग एवं शक्ति से 10 राजाओं के ऊपर आक्रमण कर दिया|  दोनों पक्षों की सेनाओं का मनोबल बढ़ाने तथा उत्साहित करने का कार्य दोनों पुरोहित कर रहे थे| राजा सुदास का आक्रमण इतना आकस्मिक था कि 10 राजाओं की सेनाये उसे रोक नहीं सके| सुदास के रथ विपक्षी सेना के अंदर घुसते चले गए| उनके पीछे पैदल सैनिक तीव्र गति से आगे बढ़ रहे थे| सुदास  ने आक्रमण की गति में ढील नहीं दी| सुदास की सेना ने अब पार्श्व, सामने और पीछे से एक साथ आक्रमण करना प्रारंभ किया|

शुत्र को पीछे हटने का कोई मार्ग नहीं मिल रहा था| यद्यपि नदी की ओर से कोई आक्रमण नहीं हो रहा था और इस ओर से पीछे हटने का अभिप्राय नदी में डूब जाना था| 10 राजाओं की सेना भयग्रस्त हो कर इधर उधर भागने लगी| सैनिक अधिक संख्या में मारे गए| पूरु राजा युद्ध में मारा गया| बहुत से सेना नदी में डूब कर नष्ट हो गई| अणु तथा प्रदय राजा भी नदी में डूब गए शेष सेना भाग निकली| सुदास  भागती हुई सेना का पीछा नहीं किया क्योंकि राजा सुदास को अपने राज्य पर पूर्व की ओर से होने वाली अनार्यों की एक आक्रमक कार्यवाही का सामना करने के लिए तुरंत लौटना पड़ा|

10 राजाओं का युद्ध (battle of 10 kings) में दूरगामी परिणाम:

इस लड़ाई में राजा सुदास की विजय हुई और 10 राजाओं के लगभग साठ हजार सैनिक हताहत हो गए| इस युद्ध में सुदास के भारतों की विजय हुई और उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप के आर्यावर्त और आर्यों पर उनका अधिकार स्थापित हो गया। इसी कारण आगे चलकर पूरे देश का नाम ही आर्यावर्त की जगह ‘भारत’ पड़ गया।


https://drive.google.com/open?id=0ByUKfEHU7-o8UXcyUmNOVXBfX1k

Friday, 16 December 2016

Indian Missiles list

भारत की मिसाइल ताकत | Indian Missiles List

अग्नि मिसाइल 1आकाश मिसाइलइंटरसेप्टर मिसाइलउन्नत वायु रक्षा AAD प्रणालीत्रिशूल मिसाइलनाग मिसाइलनिर्भय मिसाइलपृथ्वी एयर डिफेंस PAD मिसाइलपृथ्वी मिसाइलबराक मिसाइल,बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टरब्रह्मोस मिसाइलब्रह्मोस मिसाइल 2,भारतीय मिसाइलेंमिसाइल प्रतिरक्षा प्रणालीसूर्य मिसाइल

 भारत सदैव से शांति का समर्थक रहा है परंतु कई बार शांति की स्थापना शक्ति के संतुलन से ही होती है । भारत देश अंग्रेजों से आज़ाद हुआ तो चीन और पाकिस्तान के नापाक हरकतों के कारण भारत युद्ध की विभीषिका झेलनी पड़ी । चीन से हार के बाद देश को रक्षा की जरुरत समझ में आई और हमारे वैज्ञानिकों के अथक परिश्रम ने आज संसार के अग्रणी देशों को भी मिसाइल तकनिकी में पीछे छोड़ दिया है । आज भारत ने संसार को अपनी मिसाइलों के जद में ले लिया है ।

आइये एक बार भारत की मिसाइल ताकत का अंदाजा लगाते हैं ।

आकाश मिसाइल:

आकाश प्रक्षेपास्त्र भारत द्वारा स्वदेशीय निर्मित, ज़मीन से हवा में निकट दूरी (२५-३०km) पर मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है।

नाग मिसाइल:

नाग प्रक्षेपास्त्र एक तीसरी पीढ़ी का भारत द्वारा स्वदेशीय निर्मित, टैंक भेदी प्रक्षेपास्त्र है। यह उन पाँच (प्रक्षेपास्त्र) मिसाइल प्रणालियों में से एक है जो भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम के तहत विकसित की गई है।

अमोघ मिसाइल:

अमोघ -1, एक दूसरी पीढ़ी, टैंक रोधी गाइडेड मिसाइल है जो 2.8 किमी की सीमा में लक्ष्य पर एक पिन की नोक के अंतर जितनी सटीकता से वार कर सकता है। यह हैदराबाद में भारत डायनेमिक्स द्वारा विकसित किया जा रहा है।

पृथ्वी-I मिसाइल (SS-150):

पृथ्वी 1 सतह से सतह पर 1000 किलो की अधिकतम क्षमता वाली एक मिसाइल है । यह 150 किलोमीटर (93 मील) की दूरी की मारक क्षमता से लैश है | 10-50 मीटर (33-164 फीट) की सटीकता के साथ इसे ट्रांसपोर्टर इरेक्टर लांचर से दागा जा सकता है । पृथ्वी मिसाइल का यह प्रथम वर्ग 1994 में भारतीय सेना में शामिल किया गया ।

पृथ्वी-II मिसाइल (SS- 250):

“पृथ्वी दो”, एक एकल चरण द्रव ईंधन वाली मिसाइल है । यह ५०० किलो के अधिकतम वारहेड को 250 किलोमीटर (160 मील) तक प्रक्षेपित करता है । यह भारतीय वायु सेना हेतु विकसित किया गया था। इसका 27 जनवरी 1996 को पहली बार परीक्षण निकाल दिया गया था और विकास के चरणों को 2004 तक पूरा कर लिया गया था । हाल ही में एक परीक्षण में, मिसाइल को 350 किलोमीटर (220 मील) की एक विस्तारित रेंज और एक inertial नेविगेशन प्रणाली से और उन्नत बनाया गया है ।

पृथ्वी-III मिसाइल (SS-350):

पृथ्वी तृतीय, एक दो चरण वाला सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। पहले चरण में इसमें एक 16 मीट्रिक टन बल (157 केएन) प्रदान करने वाला मोटर और साथ ही ठोस ईंधन था। दूसरे चरण में तरल ईंधन है।

अग्नि-I मिसाइल:

अग्नि-1 मिसाइल स्वदेशी तकनीक से विकसित सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु सक्षम मिसाइल है। इसकी मारक क्षमता सात सौ किलोमीटर है। 15 मीटर लंबी व 12 टन वजन की यह मिसाइल एक क्विंटल भार के पारंपरिक तथा परमाणु आयुध ले जाने में समक्ष है। मिसाइल को रेल व सड़क दोनों प्रकार के मोबाइल लांचरों से छोड़ा जा सकता है। अग्नि-१ में विशेष नौवहन प्रणाली लगी है जो सुनिश्चत करती है कि मिसाइल अत्यंत सटीक निशाने के साथ अपने लक्ष्य पर पहुंचे। इस मिसाइल का पहला परीक्षण 25 जनवरी 2002 को किया गया था।

अग्नि-II मिसाइल:

अग्नि द्वितीय (अग्नि-२) भारत की मध्यवर्ती दुरी बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। यह अत्याधुनिक तकनीक से बनी 21 मीटर लंबी और 1.3 मीटर चौड़ी अग्नि-२ मिसाइल परमाणु हथियारों से लैस होकर 1 टन पेलोड ले जाने में सक्षम है। 3 हजार किलोमीटर तक के दायरे में इस्तेमाल की जाने वाली इस मिसाइल में तीन चरणों का प्रोपल्शन सिस्टम लगाया गया है।

अग्नि III मिसाइल:

अग्नि-३ (अग्नि तृतीय), अग्नि-२ के सफल प्रक्षेपण के बाद भारत द्वारा विकसित मध्यवर्ती दुरी बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है। इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने विकसित किया है। जिसकी मारक क्षमता ३५०० किमी से ५००० किमी तक है।

अग्नि-IV मिसाइल:

IRBM मध्यवर्ती-दूरी सतह से सतह की बैलिस्टिक मिसाइल

अग्नि-V मिसाइल:

यह साढ़े तीन हजार किलोमीटर तक मार करती है।

अग्नि-VI मिसाइल: 

अग्नि 5 से भारत इंटरकॉन्टिनेंटल बलिस्टिक मिसाइल (ICBM) क्लब में शामिल हो जाएगा। अमेरिका, रूस, फ्रांस और चीन पहले से ही इस तरह की मिसाइलों से लैस हैं। अग्नि-5 मिसाइल का निशाना गजब का है। यह 20 मिनट में पांच हजार किलोमीटर की दूरी तय कर लेगी और डेढ़ मीटर के टारगेट पर निशाना लगा लेगी। यह गोली से भी तेज चलेगी और 1000 किलो का न्यूक्लियर हथियार ले जा सकेगी।

धनुष मिसाइल:

धनुष मिसाइल स्वदेशी तकनीक से निर्मित पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र का नौसैनिक संस्करण है| यह 8.56 मीटर लंबा है| यह एक समय में 750 किलोग्राम मुखास्त्र तक ले जा सकता है और हल्के मुखास्त्रों के साथ 500 किलोमीटर तक मार कर सकता है| प्रक्षेपण के समय इसका वजन ४६०० किलोग्राम होता है और इसे पारंपरिक तथा परमाणु दोनो तरह के हथियारों का प्रक्षेपण किया जा सकता है|

सागरिका (K15 ) मिसाइल: 

इस प्रक्षेपास्त्र का विकास १९९१ मे के-१५ के गुप्तनाम से शुरु हुआ था। सागारिका भारतीय सेना में शामिल एक परमाणु हथियारों का वहन करने में सक्षम प्रक्षेपास्त्र है जिसे पनडुब्बी से प्रक्षेपित किया जा सकता है। इसकी सीमा ७०० किमी (४३५ मील) है।

K4 मिसाइल:

के-४ एक परमाणु क्षमता सम्पन्न मध्यम दूरी का पनडुब्बी से प्रक्षेपित किया जाने वाला प्रक्षेपास्त्र है|  इस प्रक्षेपास्त्र की मारक क्षमता ३५०० किमी है। के-४ का विकास तब शुरु हुआ जब इसी तरह की क्षमताओं वाली अग्नि-३ मिसाइल को आई एन एस अरिहंत में लगाने में तकनीकी समस्याएँ उतपन्न हुईं। अरिहंत के हल का व्यास १७ मीटर है जिसमें अग्नि ३ फिट नहीं हो पाती, इसलिये के-४ का विकास शुरु किया गया जिसे अग्नि-३ जैसी क्षमताओं के साथ ही अरिहंत में फिट होने जैसा बनाया गया। इसकी लम्बाई मात्र १२ मीटर है। के-४ के गैस प्रक्षेपक का २०१० में एक पंटून (छोटी पनडुब्बी) से सफलता पूर्वक परीक्षन किया गया।

K5 मिसाइल:

 पनडुब्बी बैलिस्टिक मिसाइल का शुभारंभ किया। (विकास जारी है)

शौर्य मिसाइल:

शौर्य प्रक्षेपास्त्र एक कनस्तर से प्रक्षेपित सतह से सतह पर मार करने वाला सामरिक प्रक्षेपास्त्र है जिसे भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ने भारतीय सशस्त्र बलों के उपयोग के लिए विकसित किया है। इसकी मारक सीमा ७५०-१९०० किमी है| तथा ये एक टन परंपरागत या परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। यह किसी भी विरोधी के खिलाफ कम – मध्यवर्ती श्रेणी में प्रहार की क्षमता देता है।

ब्रह्मोस मिसाइल:

ब्रह्मोस एक कम दूरी की रैमजेट, सुपरसॉनिक क्रूज मिसाइल है। इसे पनडुब्बी से, पानी के जहाज से, विमान से या जमीन से भी छोड़ा जा सकता है। ब्रह्मोस भारत और रूस के द्वारा विकसित की गई अब तक की सबसे आधुनिक प्रक्षेपास्त्र प्रणाली है और इसने भारत को मिसाइल तकनीक में अग्रणी देश बना दिया है।  ब्रह्मोस नाम भारत की ब्रह्मपुत्र और रूस की मस्कवा नदी पर रखा गया है। प्रक्षेपास्त्र तकनीक में दुनिया का कोई भी प्रक्षेपास्त्र तेज गति से आक्रमण के मामले में ब्रह्मोस की बराबरी नहीं कर सकता। इसकी खूबियाँ इसे दुनिया की सबसे तेज़ मारक मिसाइल बनाती है। यहाँ तक की अमरीका की टॉम हॉक मिसाइल भी इसके आगे फिसड्डी साबित होती है। रडार ही नहीं किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है। इसको मार गिराना लगभग असम्भव है।

ब्रह्मोस-A मिसाइल:

एयर क्रूज मिसाइल

ब्रह्मोस-NG मिसाइल: 

 मिनी संस्करण ब्रह्मोस (मिसाइल) पर आधारित है।

ब्रह्मोस II मिसाइल:

ब्रह्मोस-२ नाम से हाइपर सोनिक मिसाइल भी बनाई ja रही है जो 7 मैक की गति से वार करेगी। भारत अपनी स्वदेशी सबसोनिक मिसाइल निर्भय भी बना रहा है। ब्रह्मोस-२ करीब 6,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार के साथ 290 किलोमीटर दूरी तक लक्ष्य भेद सकेगी।

सूर्य मिसाइल:

सूर्य भारत का विकसित किया जा रहा प्रथम अन्तरमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रक्षेपास्त्र का कूटनाम है। सूर्य भारत की सबसे महत्वाकांक्षी एकीकृत नियन्त्रित प्रक्षेपास्त्र विकास परियोजना है। सूर्य की मारक क्षमता ८,००० से १२,००० किलोमीटर तक अनुमानित है।

अस्त्र मिसाइल:

दृश्य सीमा से परे यह हवा से हवा में मार करने वाला भारत द्वारा विकसित पहला प्रक्षेपास्त्र है। यह उन्नत प्रक्षेपास्त्र लड़ाकू विमानचालको को ८० किलोमीटर की दूरी से दुश्मन के विमानों पर निशाना लगाने और मार गिराने की क्षमता देता है।

विकिरण रोधी मिसाइल: 

DRDO, एंटी  रेडिएशन (विकिरण रोधी) मिसाइलों का निर्माण कर रहा है यह दुश्मन के रडार और अन्य ऊर्जा ट्रांसमीटरों को नष्ट कर देते हैं।

निर्भय मिसाइल:

निर्भय सभी मौसम के अनुकूल, कम लागत, लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल है| यह परंपरागत और परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है। मिसाइल, 1000 से अधिक किलोमीटर की सीमा में 1500 किलो वजन ले जा सकता है और यह 6 मीटर की लंबाई का होता है।

निर्भय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन द्वारा बनाया गया है और भारत में विकसित एक सबसोनिक क्रूज मिसाइल है।

प्रहार मिसाइल:

 प्रहार, हर मौसम में, हर इलाके में, बहुत सटीक, काम लागत, त्वरित प्रतिक्रिया सम्पन्न सामरिक हथियार प्रणाली है। यह मिसाइल कम दूरी के सामरिक युद्ध के मैदान में भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना की अपेक्षाओं को पूरा करता है । यह मोबाइल प्रक्षेपण लांच पैड से छह मिसाइलें छह अलग अलग लक्ष्यों पर पूरे दिगंश (azimuth plane) को कवर करते सभी दिशाओं में दागा जा सकता है |

हेलिना मिसाइल (HeliNa: Helicopter-launched Nag):

नाग, तीसरी पीढ़ी के एंटी-टैंक मिसाइल भारत में विकसित  है। Helina, (हेलीकाप्टर प्रक्षेपित-नाग) 7-8 किलोमीटर की दूरी के मारक क्षमता के साथ एचएएल ध्रुव और हल्के लड़ाकू हेलीकाप्टर से लांचर से प्रक्षेपित किया जा सकता है |

हेलिना ‘नाग’ का हेलीकॉप्टर से दागा जा सकने वाला संस्करण है और इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम (आईजीएमडीपी) के तहत विकसित किया है । नाग, मिसाइल की विशेषता है कि यह टॉपअटैक- फायर एंड फोरगेट और सभी मौसम में फायर करने की क्षमता से लैस है। हमला करने के लिए 42 किग्रा वजन की इस मिसाइल को हवा से जमीन पर मार करने के लिए हल्के वजन के हेलीकॉप्टर में भी लगाया जा सकता है। इन्फैन्ट्री कॉम्बेट व्हीकल बीएमपी-2 नमिका से भी इस मिसाइल का दागा जा सकेगा।

बराक 8 मिसाइल:

 हवा में मिसाइल को लंबी दूरी की सतह।

मिसाइल प्रतिरक्षा प्रणाली (इंटरसेप्टर):

भारत सुपरसोनिक इंटरसेप्टर मिसाइल  का विकास करने वाला चौथा देश बन गया है. इससे पहले अमेरिका, रूस एवं इजराइल के पास इस तकनीक की मिसाइल  मौजूद हैं.

1. प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर:

भारतीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा कार्यक्रम विकसित करने और देश को बैलिस्टिक मिसाइल हमलों से बचाने के लिए एक बहुस्तरीय बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा प्रणाली तैनात करने की आवस्यकता के तहत इंटरसेप्टर मिसाइल का निर्माण किया गया।

मुख्य रूप से पाकिस्तान से बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को ध्यान में रख एक दो-स्तरीय दो इंटरसेप्टर मिसाइलों का निर्माण किया गया । उच्च ऊंचाई अवरोधन के लिए पृथ्वी एयर डिफेंस (PAD) मिसाइल, और उन्नत वायु रक्षा (AAD) प्रणाली से कम ऊंचाई अवरोधन के लिए मिसाइल विकसित किया गया है। पैड दिसंबर 2007 में नवंबर 2006 में परीक्षण किया गया था, यही पैड इंटरसेप्टर मिसाइलों को प्रद्युम्न बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर कहा जाता है |

2. अश्विन बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर: 

 उन्नत वायु रक्षा (AAD) प्रणाली बैलिस्टिक मिसाइल इंटरसेप्टर / विरोधी विमान भेदी मिसाइल। दोनों ही मिसाइलों को इनरशियल नेविगेशन सिस्टम (INS) के जरिए गाइड किया गया।

साढे़ सात मीटर लंबी इस मिसाइल में सिंगल स्टेज सॉलिड रॉकेट है जिसमें नेविगेशन सिस्टम भी है। इस इंटरसेप्टर मिसालइ का अपना मोबाइल लॉंचर औऱ निजी ट्रेकिंग सिस्टम है। इसके राडर काफी संवेदनशील हैं। बताया जा रहा है कि अश्‍विन मिसाइल के सफल परीक्षण से अमरीका, रूस और इस्राईल के बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा क्‍लब में भारत की स्थिति काफ़ी मज़बूत हो गई है।

त्रिशूल मिसाइल:

त्रिशूल भारत द्वारा विकसित एक कम दूरी की सतह से हवा में मिसाइल है | त्रिशूल 9 किमी (5.6 मील) मारक क्षमता का ठोस ईधन वाला प्रक्षेपास्त्र है। | त्रिशूल 130 किलो (290 पौंड) वजन का होता है और एक बार में 15 किलो युद्ध विस्फोटक ले जाने में सक्षम है। त्रिशूल सुपरसोनिक गति से उड़ता है।