Monday, 7 November 2016

GSAT - 18

भारत के संचार उपग्रह जीसैट-18 का सफल प्रक्षेपण 
Oct 07, 2016More Articles
भारत के नवीनतम संचार उपग्रह जीसैट-18 का फ्रेंच गुयाना में कोउरु के अंतरिक्ष केंद्र से एरियनस्पेस रॉकेट के जरिए 6 अक्टूबर को सफल प्रक्षेपण किया गया. यह प्रक्षेपण पहले 5 अक्टूबर को किया जाना था, लेकिन कोउरु में मौसम खराब होने के कारण इसे 24 घंटे के लिए टाल दिया गया था.
  • कोउरु दक्षिणी अमेरिका के पूर्वोत्तर तट स्थित एक फ्रांसीसी क्षेत्र है.
मौसम साफ होने के साथ ही एरियन-5 वीए-231 भारतीय समयानुसार तड़के करीब दो बजे रवाना हुआ तथा जीसैट-18 को लगभग 32 मिनट की उड़ान के बाद कक्षा में भेज दिया.

प्रमुख बिंदु
  • जीसैट-18 यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा प्रक्षेपित किया जाने वाला इसरो का 20वां उपग्रह है.
  • उपग्रह भू-तुल्यकाली अन्तरण कक्षा (जिओसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट-जीटीओ) में प्रक्षेपित किया गया.
  • प्रक्षेपण के समय 3404 किलोग्राम वजनी जीसैट-18 नॉर्मल सी बैंड, अपर एक्सटेंडेड सी बैंड और केयू बैंडों में सेवा प्रदान करने के लिए 48 संचार ट्रांसपोंडर लेकर गया है.
  • यह इसरो द्वारा अब तक विकसित उपग्रहों में लगे सामान्य सी-बैंड, उच्च विस्तारित सी-बैंड तथा केयू-बैंड ट्रांसपोंडरों की सर्वाधिक संख्या है।
  • यह उपग्रह अपनी कक्षा में 15 साल तक काम करने में सक्षम है।
  • जीसैट-18 की मदद टेलीविजन, दूरसंचार, वीसैट और डिजिटल सैटेलाइट न्यूज को जुटाने सहित कई अन्य सेवाओं के लिए ली जाएगी।
  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा निर्मित जीसैट-18 इसरो के 14 संचालित उपग्रहों के बेड़े को मजबूत कर भारत के लिए दूरसंचार सेवाएं प्रदान करेगा.
  • एरियनस्पेस के लिए यह इस साल आठवां लॉन्च मिशन था।
  • भारतीय संचार उपग्रह के अलावा एरियन-5 रॉकेट ऑस्ट्रेलियाई स्काई मस्टर द्वितीय उपग्रह को भी अपने साथ ले गया था।
  • एरियनस्पेस प्रक्षेपक का यह यह कुल 280वां मिशन था.
यूरोपीय स्पेस एजेंसी का रॉकेट एरियन-5 भारी उपग्रह ले जा सकता है। इसी वजह से इसरो इसकी मदद लेता रहा है। अब अपने भारी उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए एरियन-5 रॉकेट पर निर्भर इसरो इस उद्देश्य के लिए जीएसएलवी एमके-3 विकसित कर रहा है.

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