Friday, 24 February 2017

भारत में हिमालय के प्रमुख दर्रे Main Passes of The Himalayas In India

भारत में हिमालय पर कई खुबसूरत लेकिन परिवहन के लिए खतरनाक दर्रे हैं| ये दर्रे व्यापार, यात्रा, युद्ध और प्रवास में एक बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं| इनमे से प्रमुख दर्रे इस प्रकार हैं|

आफिल दर्रा (काराकोरम-लद्दाख) Aghil Pass (Karakoram-Ladakh) – काराकोरम श्रेणी में K 2 के उत्तर लगभग 5306 मी. की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा लद्दाख को चीन के झिंजियांग (सिकियांग) प्रान्त से जोड़ता है| शीत ऋतु में यह नवंबर से मई के प्रथम सप्ताह तक बंद रहता है|

बनिहाल दर्रा (जवाहर टनल) Banihal Pass (Jawahar Tunnel) – समुद्र तल से 2832 मीटर (9291 फीट) की ऊँचाई पर पीरपंजाल श्रेणी में स्थित यह दर्रा जम्मू को श्रीनगर से जोड़ता है| शीत ऋतु में यह बर्फ से ढका रहता है| वर्ष पर्यन्त सड़क परिवहन की व्यवस्था करने के उद्देश्य से यहाँ जवाहर टनल (पंडित जवाहर लाल नेहरु के नाम पर) बने गयी, जिसका उद्घाटन 1956 में किया गया| जिसके कारण इस दर्रे का बहुत उपयोग नहीं रह गया|

बार लाप्चा (हिमालय प्रदेश-लेह और लद्दाख) Bara Lacha (Himachal Pradesh with Leh-Ladakh) – जम्मू कश्मीर में समुद्र तल से 4890 मीटर (16,040 फुट) की ऊँचाई पर स्थित है| यह मनाली को लेह से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित है| शीत ऋतु में नवंबर से मध्य मई तक यह बर्फ से ढके होने के कारण आवागमन के लिये बंद रहता है|  चंद्रभागा या चिनाब नदी की सहायक नदी भागा नदी, यहाँ मनाली के पास स्थित सुटी तल से निकलती है| यह जास्कर श्रेणी का सबसे ऊँचा दर्रा है|

बोमाडी ला Bomdi La (4331 m, Arunachal Pradesh) – भूटान के पूरब में अरुणाचल प्रदेश में में स्थित यह दर्रा समुद्र तल से 2217 मीटर (7273 फुट) की ऊँचाई पर स्थित है| यह अरुणाचल प्रदेश को तिब्बत की राजधानी ल्हासा से जोड़ता है| प्रतिकूल मौसम और बर्फ़बारी के कारण यह शीत ऋतु में बंद रहता है|

बुर्जिल दर्रा Burzail Pass (Srinagar with Kishan-Ganga Valley) – समुद्र तल बुरज़िल दर्रा 4,100 मीटर (13,500 फीट) की ऊँचाई पर कश्मीर, गिलगित और श्रीनगर के बीच का एक प्राचीनमार्ग है| यह दर्रा कश्मीर घटी को लद्दाख के देवसाईं मैदानों से जोड़ता है| बर्फ से ढक जाने के कारण यह शीत ऋतु में व्यापार और परिवहन के लिए बंद रहता है| यह भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर स्थित है|

चांग ला Chang-La (Ladakh with Tibet)  – समुद्र तल से 5360 मी. (17,590 फीट) की ऊँचाई पर स्थित महान हिमालय का यह दर्रा लद्दाख को तिब्बत से जोड़ता है| यह दर्रा लेह से पांगोंग झील को जाने वाले रस्ते में पड़ता है| जो तिब्बत के एक छोटे से शहर तांगत्से (Tangtse) से जोडता है| इसका नाम इस दर्रे में स्थित चांग-ला बाबा के मंदिर के नाम पर किया गया है| बर्फ से ढक जाने के कारण शीत ऋतु में यह बंद रहता है| यह दुनिया का तीसरा सबसे ऊँचा परिवहन योग्य दर्रा है, जो सिन्धु घाटी को पांगोंग (pangong) झील के क्षेत्र से जोड़ता है| चांगथंग पठार अपनी उच्च ऊँचाई, विशाल झीलों  और महान हिमालय के विशाल ऊँचे मैदानों के लिए जाना जाता है|

देब्सा दर्रा Debsa Pass– समुद्र तल से 5360 मी. (17,590 फीट) की ऊँचाई पर स्थित यह हिमांचल प्रदेश के कुल्लू और स्पीति जिलों के मध्य यह दर्रा महान हिमालय पर स्थित है| कुल्लू और स्पीति को जोड़ने वाले पिन-परवती दर्रे की तुलना में यह एक असान और कम दूरी का विकल्प है| सुंदर स्पीति घाटी हिमालय के पहाड़ों में हिमाचल प्रदेश के उत्तर-पूर्वी भाग में तिब्बत और भारत के बीच एक रेगिस्तानी पहाड़ भूमि है| यह दर्रा कुल्लू में पार्वती नदी घाटी से होकर गुजरता है|

दिहांग दर्रा Dihang Pass– यह दर्रा अरुणाचलचल प्रदेश राज्य में समुद्र तल से लगभग 1220 मी. की ऊँचाई पर स्थित है| यह अरुणांचल प्रदेश को मंडाले (म्यांमार) से जोड़ता है|

डिफू दर्रा Diphu Pass (Arunachal Pradesh with Mandalay in Myanmar) – यह दर्रा 4587 मीटर (15049 फीट) की ऊँचाई पर स्थित है| अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी भाग में स्थित यह दर्रा इस राज्य को मंडाले (म्यांमार) तक का आसान और सबसे छोटा रास्ता (दिहांग की तुलना में) उपलब्ध कराता है| यह भारत और म्यांमार के बीच का एक परंपरागत दर्रा है, जो व्यापार और परिवहन के लिए वर्ष भर खुला रहता है| दिफू दर्रा भारत, चीन और बर्मा की सीमाओं के पास है, पूर्वी असम के लिए इसका एक रणनीतिक महत्त्व भी है|

इमिस ला Imis La समुद्र तल से 5271 मीटर (17293 फीट) की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा लद्दाख को तिब्बत से जोड़ने का आसान रास्ता उपलब्ध कराता है| दुरूह भू-भाग और खड़ी ढाल वाला यह दर्रा शीत ऋतु में बर्फ से ढक जाने के कारण बंद रहता है|

खारदुंग ला Khardung La – समुद्र तल से 5602 मी (18,380) फीट की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा से का परिवहन योग्य भारत और संभवतः दुनिया का सबसे ऊँचा दर्रा है| परन्तु इसकी यह ऊँचाई विवादित भी है| लद्दाख क्षेत्र में लेह के पास स्थित यह दर्रा श्योक और नुब्रा घाटियों जोड़ता है| यहाँ पर कई मोटरसाइकिल और पहाड़ों के बाइक अभियान होते है| यह यह मध्य एशिया में कशगर को लेह से जोड़ने वाला ऐतिहासिक मार्ग भी है| आधुनिक तकनीकों से खारदोंग ला दर्रे की ऊंचाई 5,359 मीटर (17,582 फीट) मापी गई है|

खुन्जेराब दर्रा (काराकोरम) Khunjerab Pass (Karakoram) – समुद्र तल से 4,693 मीटर (15,397 फीट) की ऊँचाई पर स्थित काराकोरम श्रेणी का यह दर्रा लद्दाख और चीन के सिक्यांग प्रान्त को जोड़ने वाल परंपरागत दर्रा है| यह चीन के झिंजियांग क्षेत्र के दक्षिण पश्चिमी सीमा पर और पाकिस्तान के गिलगित-बाल्टिस्तान की उत्तरी सीमा पर, एक सामरिक स्थिति में काराकोरम पर्वत पर स्थित है| शीत काल में यह बर्फ से ढका रहता है|

जेलेप ला Jelep La – जेलेप ला दर्रे 4,270 मीटर (14,009 फीट) की ऊंचाई पर पूर्वी सिक्किम जिले में स्थित है| यह दर्रा सिक्किम को ल्हासा से जोड़ता है| यह चुम्बी घाटी में स्थित है| यह भारत और तिब्बती पठार पर चुम्बी घाटी में रोडोडेंड्रोन की जंगलों के साथ एक बहुत ही सुंदर मार्ग  है|

लनक ला Lanak La – अक्साई चिन (लद्दाख) में 5466 मीटर (17933 फीट). की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा लद्दाख को ल्हासा से जोड़ता है| चीन ने यहाँ एक सड़क का निर्माण किया है| जो उसके सिक्यांग प्रान्त को तिब्बत से जोडती है| अक्साई चिन क्षेत्र के दक्षिणी-पश्चिमी सीमा पर है| यह भारत और चीन के बीच का विवादित क्षेत्र भी है|

लिखापनी Lekhapani – अरुणाचल प्रदेश में 4000 मी. से अधिक ऊँचाई पर स्थित इस दर्रे द्वारा इस राज्य को म्यांमार से जोड़ा जाता है| व्यापार एवं  यातायात के लिए यह वर्ष पर्यन्त काम करने वाला दर्रा है|

जोजी ला Zoji La – समुद्र तल से 3528 मीटर (11575 फीट) की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा श्रीनगर को कारगिल और लेह से जोड़ता है| अत्यधिक बर्फ़बारी के कारण यह शीतकाल में बंद रहता है| सीमा सड़क संगठन (BRO) द्वार इसे वर्ष की अधिकतर अवधि तक खोले रखने की कोशिश की जाती रही है| इसकी देखभाल और इस पर से बर्फ हटाने के लिए इस संगठन द्वारा एक बीकॅान फोर्स (Beacon Force) की स्थापना भी की गयी है| श्रीनगर – जोजिला मार्ग को केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-1D) के रूप में घोषणा की गयी है| सन 1948 में पाकिस्तान ने इस दर्रे पर कब्ज़ा कर लिया था, परन्तु भारतीय सेना से आश्चर्यजनक रूप से इतनी ऊंचाई पर टैंको का इस्तेमाल करते हुए ऑपरेशन बाइसन के तहत इस पर पुनः कब्ज़ा कर लिया|

लिपु लेख Lipu Lekh – पिथौरागढ़ में स्थित यह दर्रा उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है| 5,334 मीटर (17,500 फीट) की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा  तिब्बत में पुरंग  को उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र से जोड़ता है| कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के तीर्थयात्री दर्रे इस से होकर जाते है| यह भारत के चीन से होने वाले व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है| लिपु-लेख दर्रा व्यास और तिब्बत क्षेत्र के चौदंस घाटी को जोड़ता है| वर्षा काल में होने वाले भूस्खलन तथा शीतकाल में होने वाले हिमस्खलन, इस दर्रे की परिवहन वयवस्था के लिए सबसे बड़ी समस्याएं हैं|

माना दर्रा Mana Pass – महान हिमालय में समुद्र तल से लगभग 5545 मीटर (18192 फीट) की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है| इसे दुनिया की सबसे ऊँची परिवहन योग्य सड़क भी माना जाता है| शीतकाल में यह लगभग 6 महीने बर्फ से ढका रहता है| माना दर्रा, नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व के भीतर माना शहर से 24 किमी. और उत्तराखंड में हिंदू तीर्थ बद्रीनाथ से 27 किमी दूर उत्तर में स्थित है|

मंगशा धुरा दर्रा Mangsha Dhura Pass – समुद्र तल से लगभग 5674 मीटर (18615 फीट) की ऊँचाई पर पिथौरागढ़ स्थित यह दर्रा उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है| मानसरोवर की यात्रा लिए यात्रियों को इस दर्रे से भी गुजरना पड़ता है| पर्यटकों एवं तीर्थ यात्रियों के लिए भूस्खलन एक बड़ी समस्या है|

मुनिंग ला (उत्तराखंड) Muning La – गंगोत्री के उत्तर स्थित यह एक मौसमी दर्रा है, जो उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है| शीतकाल में यह बर्फ से ढका रहता है तथा यहाँ से कोई आवागमन संभव नहीं होता है|

नाथू ला Nathu La (Sikkim)– यह भारत चीन सीमा पर तिब्बत क्षेत्र को सिक्किम से जोड़ता है|  समुद्र तल से लगभग 4,310 मीटर (14,140 फीट) की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा प्राचीन रेशम मार्ग (Silk Route) की एक शाखा है| यह भारत और चीन के बीच खुले तीन व्यापारिक मार्गों में से एक है, अन्य दो हिमांचल प्रदेश में स्थित शिपकी-ला और उत्तराखंड में स्थित लिपुलेख है| भारत चीन युद्ध (1962) के पश्चात् इस वर्ष 2006 में पहली बार खोला गया था| नाथू ला दर्रे महत्वपूर्ण हिंदू और बौद्ध तीर्थ स्थलों के पास स्थित है और यह कई लुप्तप्राय प्रजातियों जैसे आर्किड, हिम तेंदुआ, तिब्बती भेड़िया और काले पंखों वाली चील जैसे जीवों के व्यापक क्षेत्र में पड़ता है|

निति दर्रा Niti Pass – समुद्र तल से 5068 मी. की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा उत्तराखंड को तिब्बत से जोड़ता है| शीतकाल में यह बर्फ से ढके होने के कारण नवंबर से मध्य मई तक बंद रहता है| धौलीगंगा नदी उत्तराखंड के चमोली जिले में निति दर्रे से 5,070 मीटर (16,630 फीट) की ऊँचाई से निकलती है|

पंगसान दर्रा (अरुणाचल प्रदेश) Pangsan Pass (Arunachal Pardesh) – समुद्र तल से 4000 मी. से भी अधिक ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा अरुणाचल प्रदेश को मंडले (म्यांमार) से जोड़ता है|

पेंजी ला Pensi La – जोजी ला दर्रे के पूरब में, समुद्र तल से 4,400 मीटर (14,436 फीट) की ऊँचाई पर स्थित महान हिमालय का यह दर्रा कश्मीर घाटी को कारगिल (लद्दाख) से जोड़ता है| इसे जांस्कर के लिए प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है| यह जांस्कर घाटी क्षेत्र को सुरु घाटी क्षेत्र से जोड़ता है शीतकाल में यह बर्फ से ढके होने के कारण नवंबर से मध्य मई तक आवागमन के लिए बंद रहता है| प्रसिद्द रंगदुम मठ यहाँ से लगभग 25 किमी दूर है|

पीर-पंजाल दर्रा Pir-Panjal Pass – जम्मू को श्रीनगर से जोड़ने वाला यह पारंपरिक दर्रा ‘मुग़ल रोड’ पर स्थित है| पीर की गली के नाम से विख्यात यह मुगल सड़क के माध्यम से राजौरी और पुंछ के साथ कश्मीर घाटी को जोड़ता है| जम्मू कश्मीर को घाटी  से जोड़ने वाला यह सबसे सरल और छोटा एवं पक्का मार्ग है| पीर की गली में मुगल रोड का उच्चतम बिंदु है 11500 फुट के लगभग है| यहाँ का निकटम शहर सोपियां है, जिसे सेबों की घाटी भी कहते हैं|

काराताघ दर्रा Qara Tagh Pass – काराकोरम पर्वत श्रेणी में समुद्र तल से लगभग 5295 मीटर (17372 फीट) की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा प्राचीन रेशम मार्ग की एक शाखा थी| शीतकाल में यह बर्फ से ढका रहता है|

रोहतांग दर्रा Rohtang Pass– समुद्र तल से लगभग 3,978 मीटर (13,051 फीट) की ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा हिमांचल प्रदेश की कुल्लू, लाहुल,एवं स्पीति घाटियों को जोड़ता है| प्रसिद्ध रोहतांग दर्रा महान हिमालय की पीर पंजाल रेंज में स्थित है| सीमा सड़क संगठन (BRO) यहाँ एक उच्च कोटि के सड़क मार्ग की वयवस्था की गयी है| सैनिक वाहनों, बसों, ट्रकों एवं अन्य मालवाहकों के भरी आवागमन के कारण इस पर ट्राफिक जाम एक आम समस्या है| यह मई से नवंबर तक खुला  रोहतांग दर्रा बाकी समय बर्फीले तूफानों और हिमस्खलन के कारण इसको पार करना मुश्किल है|

शिपकी ला Shipki La – समुद्र तल से 4300 मी. से भी अधिक ऊँचाई पर स्थित यह दर्रा, सतलज महाखड्ड (gorge) से होकर हिमांचल प्रदेश को तिब्बत से सम्बद्ध करता है| यह हिमाचल प्रदेश में किन्नौर जिले में स्थित है| तिब्बत से आने वाली सतलज नदी इसी दर्रे से भारत में प्रवेश करती है| भारत के चीन से होने वाले व्यापर के लिए यह तीसरा (नाथु ला और लिपुलेख के बाद) दर्रा (राजमार्ग 22) है| शीतकाल में यह बर्फ से ढका रहता है|

थांग ला (लद्दाख) Thang La (Ladakh) – समुद्र तल से  लगभग 5,328 मीटर (17,480 फीट) की ऊँचाई पर लद्दाख क्षेत्र में यह दर्रा स्थित है, खारदुंग ला के बाद परिवहन योग्य यह भारत का दूसरा सबसे ऊँचा दर्रा है|

ट्रेल्स दर्रा Traill's Pass – यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों में समुद्र तल से 5212 मी. (17,100 फुट) की ऊँचाई पर स्थित है| नंदा देवी और नंदा कोट चोटियों के बीच स्थित है| पिंडारी हिमनद के कगार पर स्थित यह दर्रा पिंडारी घाटी को मिलाम घाटी से जोड़ता है| खड़ी ढाल और विषम सतह के कारण इस दर्रे को पर करना काफी कठिन है|

बोरासु दर्रा Borasu Pass - बोरासु दर्रा चीन के साथ सीमा के पास 5,450 मीटर (17,881 फीट) की ऊंचाई पर महान हिमालय पर्वत में स्थित है| यह उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश को जोड़ता है| उच्च ऊंचाई पर स्थित यह दर्रा अदभुत दून घाटी और किन्नौर घाटी के बीच एक पुराना व्यापार मार्ग था|

रुपिन दर्रा Rupin Pass - उत्तराखंड में रुपिन नदी के पार स्थित यह दर्रा  उत्तराखंड में धौला से शुरू होता है और हिमाचल प्रदेश में सांगला में खत्म होता है| निर्जन रुपिन दर्रा महान हिमालय पर्वतमाला में 4650 मीटर (15,250 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है और इस दर्रे में गहरी अंधेरी घाटियों, बर्फीले ढलानों और क्षेत्रों से होकर गुजरना पड़ता है|

सेला दर्रा Sela Pass - जमा हुआ सेला दर्रा अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में 4,170 मीटर (13,680 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है| सेला दर्रा में सर्दियों में भारी बर्फबारी होती है, लेकिन यह साल भरखुला रहता है| यह  तेजपुर और गुवाहाटी के माध्यम से तवांग को भारत से जोड़ता है| यह तवांग और प्रसिद्द बौद्ध तवांग मठ का प्रवेश द्वार है|

चंशल दर्रा Chanshal Pass – यह दर्रा हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले में दोदरा क्वार और रोहड़ू को जोड़ता है| यह शिमला की सबसे ऊंची पर्वत चोटी पर 4520 (14,830 फुट)  मीटर की ऊंचाई पर स्थित है|

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