Sunday, 8 January 2017

अपने लोगों को विदेशों से निकालने में कितना सक्षम है भारत -

सन्दर्भ

हाल ही के एक अध्ययन से पता चला है कि आपातकालीन परिस्थितियों में विश्व के अन्य हिस्सों से अपने लोगों को निकालने की भारत की निष्क्रमण प्रक्रिया विसंगतियों से युक्त है। वस्तुतः भारत की निष्क्रमण प्रक्रिया त्वरित कार्रवाइयों तथा फौरी समाधानों पर निर्भर है।

इस संबंध में प्रमुख समस्याएँ

गौरतलब है कि ज़्यादातर खाड़ी देशों से भारतीय कामगारों की समस्याओं की शिकायतें मिलती रहती हैं। इनमें मज़दूरी न दिये जाने अथवा देर से भुगतान, कामकाज और आवास  की कठिन परिस्थितियाँ, कामगारों के अनुबंध में एकपक्षीय बदलाव, नियोक्ता द्वारा पासपोर्ट अपने पास रखना, दलालों द्वारा धोखा देना, शारीरिक और यौन उत्पीड़न इत्यादि प्रमुख हैं।हालाँकि, भारत सरकार ने प्रवासी भारतीय श्रमिकों के संरक्षण और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिये प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय खासकर संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान, बहरीन और मलेशिया जैसे खाड़ी देशों समेत अनेक देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते किये ।लेकिन आपातकालीन परिस्थितियों में जब लोगों को किसी देश से अचानक निकालने की आवश्यकता होती है तब सरकार के संबंधित निकायों को मुसीबत का सामना करना पड़ता है, भारत में इस तरह के मिशन के लिये एक मानक संचालन प्रक्रिया (standard operating procedure - SOP) का आभाव है। यह बहुत ही चिंताजनक बात है कि इन परिस्थितियों में हमें नागरिक उड्डयन, सैन्य और राजनयिक सेवाओं के व्यक्तिगत बलिदानों पर निर्भर रहना पड़ता है|विदित हो कि 11 मिलियन भारतीय विदेशों में रह रहे हैं और प्रत्येक वर्ष लगभग 20 मिलियन भारतीय विदेश यात्राओं पर जाते हैं| अथ आपातकालीन परिस्थितियों में हम त्वरित समाधानों और कार्यवाहियों के भरोसे बैठे नहीं रह सकते।

इस संबंध में सरकार के प्रयास

गौरतलब है कि खाड़ी देशों समेत विश्व के अन्य देशों के साथ द्विपक्षीय समझौते के अलावा पिछले साल दुनिया के किसी भी कोने से मुसीबत में घिरे भारतीय को तत्काल मदद पहुँचाने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने एक फेसबुक एप शुरू किया था, जिसके माध्यम से दुनिया के किसी भी कोने में परेशानी में फँसे भारतीयों को तुरंत मदद दी जा सकती है। विदेश मंत्रालय ने सोशल मीडिया के लोकप्रिय मंच फेसबुक पर 172 देशों में संचालित अपने मिशनों को एक साथ समेटकर फेसबुक एक नया एप विकसित किया था, जिससे विदेशों में ज़रूरतमंद भारतीय उन देशों में मौजूद भारतीय उच्चायुक्त या मिशन प्रमुखों से सीधे संपर्क करके मदद हासिल कर सकते हैं।

निष्कर्ष

आज वैश्विक हालात पहले की तुलना में अधिक परिवर्तनशील हैं| ऐसे में कभी यमन तो कभी कुवैत जैसे देशों से फँसे भारतीयों की एक बड़ी जनसंख्या के निष्क्रमण हेतु सरकार को अभियान चलाना पड़ता है।प्रायः ये अभियान जोख़िम से भरे होते हैं और अब तक भारतीय सेना ने अभूतपूर्व बहादुरी का परिचय देते इन अभियानों को सफलतापूर्वक अंजाम तक पहुँचाया है, लेकिन हम हमेशा ही अपनी बहादुर सेना और नागरिक उड्डयन पर पूर्णतः निर्भर नहीं रह सकते, अतः भारत को चाहिये कि आपातकालीन वैश्विक परिस्थितियों में विदेशों में फँसे अपने नागरिकों को निकालने के लिये एक मानक संचालन प्रक्रिया (standard operating procedure - SOP) का गठन करे।-

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