Tuesday, 18 April 2017

Why u want to join Civil Services " in UPSC interview. How will you answer this question?

There are two reasons why i want to join Civil services No 1. Civil service gives me the opportunity to serve the people specially the marginalized people as because till date lots of welfare programs benefit not to reach to them as a result they suffering and deprived .. If i join civil services i will be able to formulate the plans, policies for those people (under privileged) with utmost honesty, maintaining transparency.. No 2 , corruption is working like cancer in our society , as i try to my best to wipe this out as civil service provides leadership by this i can work for the people .. last but not the least Civil services gives ample opportunity of solving peoples problem and after that when people smiling as because of me it'll give me immense pleasure and also give me more enthusiasm to work for them..

Friday, 14 April 2017

भारत_में_एक_से_अधिक_टाइम_ज़ोन_की_सार्थकता

#भारत_में_एक_से_अधिक_टाइम_ज़ोन_की_सार्थकता

Important for #essay and #geography optional

भारत एक विशाल देश है जिसका पूर्व में विस्तार बांग्लादेश की सीमा से लेकर पश्चिम में अरब सागर तक है, लेकिन विशाल भौगोलिक क्षेत्र के बावजूद हमारे यहाँ एक ही टाइम ज़ोन( time zone) है। गौरतलब है कि भारत में टाइम ज़ोन का मसला एक विवादास्पद मुद्दा रहा है, इसमें बदलाव के प्रस्ताव खास तौर से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र से आते रहते हैं।

#पृष्ठभूमि

विदित हो कि प्रत्येक देश का एक मानक समय है जो अक्षांश-देशांतर में अंतर के आधार पर मापा जाता है। इसी तरह हमारे देश में आधिकारिक भारतीय मानक समय का निर्धारण उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद को केंद्र में रखकर होता रहा है जिसे दिल्ली स्थित राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला निर्धारित करती है। दुनिया के अधिकांश देश एकल टाइम ज़ोन से काम चलाते हैं और विशाल भौगोलिक क्षेत्रफल वाले भारत में भी एक ही टाइम ज़ोन है। कश्मीर से कन्याकुमारी और अरुणाचल से गुजरात तक एक ही समय मान्य है।
ज्ञात हो कि यह व्यवस्था वर्ष 1906 में बनाई गई थी। हालाँकि 1948 तक कोलकाता का आधिकारिक समय अलग से निर्धारित होता था और इसका कारण यह था कि वर्ष 1884 में वॉशिंगटन में विश्व के सभी टाइम ज़ोन्स में एकरूपता लाने के उद्देश्य से हुई इंटरनेशनल मेरिडियन कॉन्फ्रेंस में तय हुआ कि भारत में दो टाइम ज़ोन होंगे। इसलिये कोलकाता का टाइम ज़ोन दूसरे मान्य टाइम ज़ोन के रूप में प्रचलित रहा। गौरतलब है कि मुंबई का समय भी 1955 तक अलग से मापा जाता था, हालाँकि उसे आधिकारिक तौर पर कभी लागू नहीं किया गया।
बहरहाल, विस्तृत भूभाग वाले हमारे देश में एक से ज़्यादा टाइम जोन की ज़रूरत की स्पष्ट वज़ह है। देश के कई हिस्सों में सूरज दूसरे हिस्सों के मुकाबले पहले उगता और अस्त होता है। पूर्वोत्तर में सुबह और शाम देश के बाकी हिस्सों से जल्दी होते है, इस कारण एक निश्चिय समय सारिणी से अनुसार खुलने वाले दफ्तरों में काम करने वाले लोगों को परेशानी का सामना तो करना ही पड़ता है साथ में वायुयानों की उड़ानों आदि के संचालन में भी असुविधा होती है।

क्यों बनना चाहिये एक और टाइम जोन ?

दरअसल, टाइम ज़ोन के प्रति एक आम भारतवासी के मन में यहीं छवि है कि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसे बदला नहीं जा सकता और इसके कारण होने वाले नुकसान को हमें हर हाल में झेलना ही होगा, जबकि ऐसा है नहीं। पूर्वोतर के राज्यों में सूर्योदय सुबह के चार बजे ही हो जाता है और शाम भी इतनी ही जल्दी हो जाती है। फलस्वरूप जब तक स्कूल कॉलेज और दफ्तर खुलते हैं तब तक दिन का एक बड़ा हिस्सा बीत चूका होता है। रात हो जाती है कार्यालयों में काम होता रहता है। एक अध्ययन के मुताबिक इस प्रक्रिया में जितनी बिजली का उपयोग किया जाता है उससे रात के समय नागरिकों को की जाने उर्जा आपूर्ति में 18 प्रतिशत की बचत की जा सकती है। इन्हीं ज़रूरतों के मद्देनजर विस्तृत भूभाग वाले कई देशों में एक से अधिक टाइम ज़ोन हैं जैसे- रूस और अमेरिका में 11-11 टाइम ज़ोन हैं यहाँ तक कि फ्रांस जैसे छोटे देश में 12 टाइम ज़ोन हैं वहीं कनाडा में छह टाइम ज़ोन हैं।

क्यों नहीं बनना चाहिये अतिरिक्त टाइम ज़ोन ?

गौरतलब है कि वैज्ञानिक, भारत को दो समय ज़ोन में विभाजित करने के खतरों से आगाह करते रहे है। विदित हो कि वैज्ञानिकों के एक वर्ग का कहना है कि भारत में दो टाइम ज़ोन होने से अफरा-तफरी का माहौल देखने को मिल सकता है इतना ही नहीं, बल्कि टाइम ज़ोन की सीमाओं पर मानवीय भूल होने से भयंकर रेल दुर्घटनाएँ हो सकती हैं। ज़ाहिर है कि वैज्ञानिक समुदाय अपने आकलन के आधार पर भारत को अलग-अलग टाइम ज़ोन में विभाजित करने के पक्ष में नहीं है। विदित हो कि मुख्य रूप से पूर्वोत्तर राज्यों की ओर से उठने वाली इस मांग को ध्यान में रखकर कई वैज्ञानिक अध्ययन किये जा चुके हैं।

क्या हो आगे का रास्ता ?

ध्यातव्य है कि भारत में दो अलग टाइम जोन के मुद्दे की व्यवहारिकता और इससे से संबंधित वैज्ञानिक पक्षों के अध्ययन के लिये त्रिपुरा सरकार के आग्रह पर वर्ष 2002 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने एक समिति का गठन किया था। समिति का निष्कर्ष था कि दो टाइम ज़ोन में विभाजित करने से हवाई उड़ानों, रेल यातयात को कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा और इससे राज्यों को कोई विशेषलाभ नहीं होगा। इसके साथ-साथ समिति का सुझाव था कि अलग-अलग राज्य सरकारें चाहें, तो इस दिशा में पहलकदमी कर सकती हैं।
एक अन्य महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम में वर्ष 2012 में केंद्र के ऊर्जा मंत्रालय की ओर से तैयार किये गए एक शोध पत्र में भी कहा गया था भारत के मानक स्थानीय समय को आधा घंटा बढ़ा दिया जाए तो लगभग 17-18 प्रतिशत ऊर्जा की खपत में बचत हो सकती है जो कि निश्चित इस समस्या का एक व्यवहारिक समाधान है।

#निष्कर्ष

गौरतलब है दो टाइम ज़ोन बनाने को लेकर विशेषज्ञों में दो मत हैं, विशेषज्ञों का एक धड़ा यह मानता है कि भारत को अलग-अलग टाइम ज़ोन में विभाजित करना कई किस्म की प्रशासनिक दिक्कतें पैदा कर सकता है, जबकि दूसरा धड़ा ऊर्जा में बचत संबंधी फायदों की दलील देते हुए टाइम ज़ोन को विभाजित करने की वकालत करता है। ज़ाहिर है कि वैज्ञानिकों द्वारा दोनों ही दलीलों को ध्यान में रखते हुए ये रास्ता सुझाया गया है कि पूरे भारत में मानक समय को ही आधा घंटा बढ़ा दिया जाए। इससे टाइम जोन में बदलाव से संभावित प्रशासनिक दिक्कतें दूर हो सकती हैं।

Sunday, 2 April 2017

भारत के प्रमुख बंदरगाह (India's Major Ports in Hindi)

भारत के प्रमुख बंदरगाह (India's Major Ports in Hindi)

भारत के तटवर्ती इलाकों में 13 बड़े बंदरगाह और 200 छोटे बंदरगाह हैं। बड़े बंदरगाह केंद्र सरकार और छोटे बंदरगाह राज्‍य सरकारों के अंतर्गत आते हैं।

देश में स्‍थित 13 बड़े बंदरगाह पूर्वी और पश्‍चिमी तटों पर समान रूप से बनाए गए हैं। कोलकाता, पारादीप, विशाखापत्तनम, हल्दिया, चेन्‍नई, एन्‍नोर और तूतीकोरिन बंदरगाह भारत के पूर्वी तट पर स्‍थित हैं, जबकि कोचीन, मंगलौर, मोरमुगाओ, मुंबई, न्हावाशेवा पर जवाहरलाल नेहरू और कांडला बंदरगाह पश्‍चिमी तट पर स्‍थित हैं।

भारत के प्रमुख बंदरगाह -

नामनदी/समुद्रराज्य/के.शा.प्र.मुंबई-अरबसागर महाराष्ट्र
पारादीपबंगाल की खाड़ीआंद्रप्रदेश, ओडिशाचेन्नईबंगाल की खाड़ीतमिलनाडुविशाखापट्टनमबंगाल की खाड़ीआन्ध्र प्रदेश
कांडलाकच्छ की खाड़ीगुजरात
मुर्मुगावअरबसागरगोवा
जवाहरलालनेहरुअरबसागरमहाराष्ट्रकोचीनअरब सागर
केरलइन्नौरबंगाल की खाड़ीतमिलनाडु
हल्दियाकोलकाता-हुगलीनदीपशिम बंगालन्यू तूतीकोरिनबंगाल की खाड़ीतमिलनाडुन्यू मंगलोरअरब सागरकर्नाटकपोर्टब्लेयरबंगाल की खाड़ीअंडमान निकोबार द्वीप समूह


 

बंदरगाहों से संबंधित अन्य तथ्य -

भारत में 13 बड़े तथा 200 से अधिक छोटे बंदरगाह है हम यह कुछ प्रमुख बंदरगाह के बारे में जानकारी दे रहे है -

1.मुंबई बंदरगाह

यह एक प्राकृतिक बंदरगाह है जो मुंबई में स्थित है। इसे भारत का प्रवेश द्वार कहा जाता है।  यह अन्य बंदरगाहों की अपेक्षा अधिक विस्तृत है। इस बंदरगाह की क्षमता लगभग 200 टन से अधिक है। भारत का सर्वाधिक व्यापार इसी बंदरगाह से होता है।पश्चिमी तट का सबसे बड़ा प्राकृतिक बंदरगाह।सर्वाधिक आयात करने वाला बंदरगाह (भारत का 20% व्यापार यही से)।

2.न्हावाशेवा बंदरगाह (जवाहरलाल नेहरू)

यह मुंबई बंदरगाह के निकट ही स्थित है इसका निर्माण मुंबई बंदरगाह का दबाव कम करने के लिए किया गया। न्हावाशेवा बंदरगाह देश सबसे आधुनिक एवं सर्वसुविधायुक्त बंदरगाह है, शुष्क सामाग्री के व्यापार हेतु प्रसिद्ध।

3.कांडला बंदरगाह

यह गुजरात राज्य की कच्छ की खाड़ी में स्थित ज्वारीय बंदरगाह है। इसके निकट के राज्यों में खनिज तेल, सीमेंट, रसायन, सूती वस्त्र इत्यादि औद्योगो का विकास होने से इसका महत्व बढ़ गया है। इस बंदरगाह से भारी मात्रा में कपास, सूती वस्त्र, उर्वरक,कच्चा तेल, पोटास, फास्फेट, नमक आदि का निर्यात किया जाता है।

4.मर्मागोवा बंदरगाह

यह गोवा राज्य में अरब सागर के तट पर स्थित  प्राकृतिक बंदरगाह हैं । 

5.न्यू मंगलौर बंदरगाह

न्यू मंगलौर बंदरगाह कर्नाटक राज्य के समुद्र तट पर स्थित है।  इस बंदरगाह से कद्रमुख की खान से निकला लौह अयस्क निर्यात किया जाता है । 

6.कोच्चि बंदरगाह

यह केरल राज्य में स्थित एक प्राकृतिक बंदरगाह है जिसमें बड़े जहाज भी ठहर सकते हैं। कोच्चि बंदरगाह भारत के पश्चिमी तट का सर्वश्रेष्ठ बंदरगाह माना गया है। चाय, कॉफी व मसालों के निर्यात के लिये प्रसिद्ध।

7.कोलकाता बंदरगाह

यह पश्चिम बंगाल में हुगली नदी के किनारे स्थित कृत्रिम बंदरगाह है। यह पूर्वी तट का सबसे बड़ा तथा भारत का दूसरा बड़ा बंदरगाह है। कोलकाता बंदरगाह के दक्षिण में हल्दिया बंदरगाह को विकसित किया गया है ।

8.हल्दिया

कलकत्ता बंदरगाह के दक्षिण में हुगली नदी पर कलकत्ता के भार को कम करने हेतु बनाया गया।यहां तेलशोधन कारखाना भी हैं।

9.विशाखापत्तनम बंदरगाह

यह बंदरगाह देश के पूर्वी तट पर आंध्र प्रदेश के महानगर विशाखापत्तनम में स्थित है । यह एक प्राकृतिक एवं गहरा बंदरगाह है। भारत का सबसे गहरा बंदरगाहयह जहाजों का निर्माण एवं मरम्मत की जाती है। यह बंदरगाह अपने कार्यों की गुणवत्ता एवं उत्पादकता के लिए प्रसिद्ध है। 

10.चेन्नई बंदरगाह

भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित यह एक कृत्रिम बंदरगाह है । भारत का दूसरा सबसे बड़ा यातायात घनत्व वाला बंदरगाह और भारत का सबसे पुराना कृत्रिम बंदरगाह।एन्नौर बंदरगाह को चेन्नई बंदरगाह का दबाव कम करने के लिए विकसित किया गया है।

11.पाराद्वीप बंदरगाह

यह भारत के पूर्वी तट के किनारे उड़ीसा राज्य में स्थित है। यह कोलकाता तथा विशाखापत्तनम बंदरगाह के लगभग बीच में स्थित प्राकृतिक संरचना का बंदरगाह है। इस बंदरगाह से उड़ीसा एवं बिहार के खनिजों का निर्यात किया जाता है तथा मशीनें,उर्वरक,गंधक, इंजीनियरिंग सामान आयत किए जाते हैं।

12.तूतीकोरन बंदरगाह

यह बंदरगाह तमिलनाडु राज्य के दक्षिणी छोर पर स्थित है। यहां से नमक,मछली, सीमेंट,लिग्नाइट, तम्बाकू, चावल आदि निर्यात किया जाता है एवं मशीनें,उर्वरक,सूती वस्त्र इत्यादि वस्तुओं का आयात होता है। 

13.पोर्ट ब्लेयर
अंडमान निकोबार। 2010 में तेरहवें बंदरगाह के रूप में मान्यता